12 sathiya kaise banaye
जैन धर्म में 'साथिया' (स्वस्तिक) एक बहुत ही पवित्र और शुभ प्रतीक है। यह आमतौर पर पूजा, आरती या किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में बनाया जाता है। १२ साथिया (बारह स्वस्तिक) आमतौर पर पूजा के समय पाट पर, चौकी पर या भूमि पर बनाए जाते हैं। इन्हें आमतौर पर रोली, हल्दी, चंदन, या चावल के आटे से बनाया जाता है।
१२ साथिया बनाने की विधि (Jain Method):
1. सबसे पहले पूजा स्थान या चौकी को स्वच्छ करें।
2. अब उसमें थोड़ा सा जल छिड़क लें।
3. अब पूजा स्थान पर या चौकी पर हल्दी, चंदन, या रोली का घोल बना लें।
4. अंगुली या लकड़ी की डंडी की सहायता से १२ स्वस्तिक (साथिया) बनाएं।
5. स्वस्तिक बनाने के लिए, दो 'L' आकार की रेखाएं आपस में उल्टी दिशा में मिलती हैं, और हर कोने पर तीन-तीन बिंदु (जिन्हें 'बिन्दी' कहते हैं) लगाए जाते हैं।
6. १२ स्वस्तिक ऐसे बनाएँ कि वे पंक्तियों या वृत्त में भी हो सकते हैं।
7. प्रत्येक स्वस्तिक के ऊपर या पास में अक्षत (चावल), पुष्प, या चावल के दाने रख सकते हैं।
8. इसके बाद, इन १२ स्वस्तिकों की पूजा की जाती है।
जैन धर्म में १२ साथिया का महत्व:
१२ साथिया का संबंध १२ भावना (द्वादश भावनाएँ) या कभी-कभी १२ लक्षणों से भी जोड़ा जाता है। पूजा में १२ स्वस्तिक बनाकर हम शुभता, समृद्धि, और धर्म के प्रतीक स्वरूप भगवान की आराधना करते हैं।
सावधानी:
- स्वस्तिक हमेशा दाहिनी ओर घुमावदार बनाएं।
- अशुद्ध हाथों से या गंदे स्थान पर न बनाएं।
अगर आपको चित्र या वीडियो विधि चाहिए तो जैन पूजा पुस्तकों में भी इसकी विधि विस्तार से दी होती है।