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Navkar Mantra
Hindi
मंगलाणम च सव्वेसिं। पढमं हवई मंगलं।
English
Namo Arihantanam
Namo Siddhanam
Namo Ayariyanam
Namo Uvajjhayanam
Namo Loe Savva-sahunam
Eso Panch Namokaro
Savva-pavappanasano
Manglananch Savvesim
Padhamam Havei Mangalam
Navkar Mantra and its Benefits ( नवकार मंत्र और उसके लाभ )
जैन धर्म का पवित्र और अनादी मंत्र है णमोकार महामंत्र – नवकार मंत्र ईश्वर या संत के किसी विशिष्ट नाम को संबोधित नहीं करता है।
नवकार मंत्र सभी देवताओं, ऋषियों और संतों का आशीर्वाद लेने और उनका आशीर्वाद पाने का एक सामान्य मंत्र है।
इसमें किसी व्यक्ति का नहीं, किंतु संपूर्ण रूप से विकसित और विकासमान विशुद्ध आत्मस्वरूप का दर्शन, स्मरण, चिंतन, ध्यान एवं अनुभव किया जाता है। इसलिए यह अनादि और अक्षयस्वरूपी मंत्र है।
नवकार मंत्र (navkar mantra) का मूल उद्गम जैन धर्म में हुआ है। यह मंत्र जैन तीर्थंकर भगवान महावीर के शासनकाल में प्रचलित हुआ था। यह नवकार महामंत्र आदि और अनंत है इनकी रचना ना किसी से की है और इस मंत्र अनंत काल तक यानि चिरकाल तक रहेगा। यह मंत्र परमात्मा के अभिप्रेत नामों को भी दर्शाता है और इसे जैन धर्म की पवित्रतम मंत्राओं में से एक माना जाता है।
यह उन महान आत्माओं का आशीर्वाद मांगता है जो लोगों को उनके अंतिम लक्ष्य या निर्वाण की याद दिलाते हैं। इसलिए इस मंत्र का नियमित जाप करना बताया गया है।
नवकार मंत्र का अंतिम उद्देश्य आध्यात्मिक धन प्राप्त करना है न कि भौतिक लाभ। इसलिए बिना किसी लालच के नवकार मंत्र का जप करना महत्वपूर्ण है।
हमेशा पृथ्वी पर सभी प्राणियों के कल्याण की तलाश करें और मुक्ति के लिए अपने मार्ग का मार्गदर्शन करने के लिए आध्यात्मिक रूप से विकसित स्वामी के मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करें।
The Navkar Mantra is a sacred and timeless mantra in Jainism. It is the Namokar Mahamantra, which does not address a specific deity or saint.
The Navkar Mantra is a universal mantra used to seek blessings from all deities, sages, and saints. It doesn't focus on any individual but rather guides one to experience and contemplate the pure and evolving form of the soul. This is why it's considered an eternal and infinite mantra.
The origin of the Navkar Mantra lies within Jainism. This mantra was prevalent during the rule of Lord Mahavir, a Jain Tirthankara. The Navkar Mahamantra is both beginning and endless; it was not created by anyone and will endure for eternity. It also reflects the names of the Supreme Being and is regarded as one of the holiest mantras in Jainism.
This mantra seeks the blessings of enlightened souls who remind people of their ultimate goal or Nirvana. Therefore, regular recitation of this mantra is recommended.
The ultimate purpose of the Navkar Mantra is to attain spiritual wealth, not material gain. Therefore, chanting the Navkar Mantra without any greed is essential.
Always seek the welfare of all living beings on Earth and pray for spiritual guidance from the spiritually evolved beings to show you the path to liberation.