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पूजन की तैयारी व सामग्री
1) पूजा हेतु श्री महावीर स्वामी, गौतम स्वामी, दादा गुरूदेव व सरस्वती, लक्ष्मी आदि की तस्वीरें, चाँदी के सिक्के (रूपानाणां ) ।
2) बाजोट-1, कलश-2, दीपक बड़ा-1, छोटा दीपक-1, धूपिया - 1, कटोरी -2, मिट्टी के दिये, पंचामृत के लिए कटोरा ।
3) बहीखाते (आवश्यकतानुसार), कलमें, दवात आदि ।
4) श्रीफल, अक्षत, कुकुं, शुद्धजल, केसर- चंदन, पुष्प, वासक्षेप, धूप, कपास, घी, मिठाईयाँ, फल, अखण्ड पान, लौंग, इलायची, मौली, कपूर, पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, केसर), लाल वस्त्र ।
5) पूजन करने वालों को स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिए।
6) शुभ मुहूर्त में तस्वीरें, नई बहियाँ, दस्तरी, कलमें (पेन), दवात आदि साफ किए हुए बाजोट पर पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापन करना चाहिए।
7) इस पाटे के दाहिनी ओर घृत का दीपक बांई ओर धूप या अगरबत्ती रखनी चाहिए।
8) दीपावली पर्व पर उपवास, आयम्बिल, एकासना आदि शक्तिनुसार तप करना चाहिए।
9) फटाके, आतिशबाजी, आदि का उपयोग न करें। इनसे क्षणिक आनन्द भले ही प्राप्त हो किन्तु अत्यधिक कर्म बंध होता है। यह सर्वथा त्याग्य है।
पूजन-1 -विधि
णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं, णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं, एसो पंच नमुक्कारो, सव्व पावप्पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवई मंगलम् ॥
पूजन करने वाले तीन नवकार गिनकर सर्वप्रथम अपनी कलाई में मौली बांधे। इसके बाद नवकार गिनते हुए कलश में मौली बांधकर, शुद्ध जल भरकर, नारियल में मौली बांधकर कलश सहित स्वास्तिक पर स्थापन करें, और नवकार गिनते हुए ही कलम, दवात आदि में मौली बांधे। कुमारिका सर्व पूजकों के कपाल पर कुंकुम तिलक और उस अक्षत लगायें।
पंचामृत में रूपामाणां को धोकर उन्हें एक रकाबी (प्लेट) में रखें। नई यही के प्रथम पन्ने पर कुंकुं या चंदन से बड़ा स्वास्तिक बनाकर निम्नानुसार लिखें-
॥ ॐ अर्हम् नमः ॥
श्री 108 बार
श्री लाभ - श्री शुभ
श्री पार्श्वनाथायः नमः । श्री महावीराय नमः । श्री सद्गुरुभ्यो नमः | श्री सरस्वत्यै नमः ॥ श्री लक्ष्मी देव्यै नमः |
श्री गौतम स्वामीजी जैसी लब्धि हो ।
श्री केशरियाजी जैसा भंडार भरपूर हो।
श्री भरत चक्रवर्तीजी जैसी पदवी हो ।
श्री अभयकुमारजी जैसी बुद्धि हो ।
श्री कवयन्नाजी सेठ जैसा सौभाग्य हो । श्री बाहुबली जी जैसा बल प्राप्त हो ।
श्री धन्ना - शालिभद्रजी जैसी ऋद्धि हो । श्री श्रेयांसकुमार जी जैसी दान वृत्ति हो ।
श्री वीर संवत् 25.... विक्रम संवत् 20..... शुभ मिति कार्तिक बदी...... वार.......... तद्नुसार दिनांक महिना ...........सन् 20........ ईस्वी मुहूर्त...
इसके बाद उपरोक्त स्वस्तिक पर एक नागरबेल का अखंड पान रखें, उस पर सुपारी, इलायची, लौंग, रख कर यही आदि के चारों ओर फिरती शुद्ध जलधारा देकर वासक्षेप अक्षत (चावल) और पुष्प (फूल) मिश्रित कुसुमांजलि हाथ में लेकर नीचे लिखित श्लोक व मंत्र बोल कुसुमांजलि करना ।
श्लोक
मंगलम् भगवान वीरो, मंगलम् गौतम प्रभु । मंगलम् स्थूलभद्राद्या, जैनो धर्मोऽस्तु मंगलम् ॥
आरती के पश्चात निम्नलिखित पाठ पढ़े-
श्री गौतम स्वामी का अष्टम्
अंगूठे अमृते यसे, लब्धि तणा भंडार । ते गुरु गौतम समरिये, वांछित फल दातार ।11।। प्रभु वचने त्रिपदी लहि, सूत्र रचे तेणीवार । चउदह पूरब मां रचे, लोकालोक विचार। 12 ।। भगवति सूत्रे नमी, बंभी लिपि जयकार ! लोक लोकोत्तर सुख भणी, भाखी लिपि अढ़ार । 13 11 वीर प्रभु सुखिया थया, दीवाली दिन सार । अन्तर महूरत तत्क्षणे, सुखिया सहू संसार 114 11 केवल ज्ञान लहे सदा, श्री गौतम गणधार ! सुरनर पर्पदा आगले, पट अभिषेक उदार 11511 सुरनर पर्षदा आगले, भांखे श्री श्रुतवाण। नाण थकी जग जाणिए, द्रव्यादिक चौठाण ।16।। ते श्रुतज्ञान ने पूजिये, दीप धूप मनोहार । वीर आगम अविचल रहो, वर्ष एकवीस हजार ।17।। गुरु गौतम अष्टम कही, आणी हर्ष उल्लास। भाव धरी जे समरसे, पूरे सरस्वती आशा 118 ।।
उपरोक्त गौतम अष्टक बोलने के बाद में धूप दीप करके एकाग्र चित्त से निम्नलिखित सरस्वती मंत्र की एक, तीन अथवा पांच मालाएं जैसा हो गुणना चाहिए।
सरस्वती मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लीं श्रीं इसकलं ह्रीं ऐं नमः ।
इस मंत्र का जाप करने के बाद पूजन में अज्ञानवशात् कोई दोष लगा हो उसके लिए निम्नलिखित श्लोक पढ़ते हुए देवी से क्षमा याचना करनी चाहिए-
क्षमायाचना
ॐ आज्ञाहीनं क्रियाहीनं, मंत्रहीनं च यत्कृतम् । तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरी! 11 ॥ आव्हानं नैव जानामि, न जानामि विसर्जनम् । पूजाऽर्चा नैव जानामि, क्षमस्व परमेश्वरी! 112 11 अपराधसहस्त्राणि क्रियन्ते नित्याशी मया । तत्सर्व क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरी 113 11
दीपावली का जाप
(1) ॐ ह्रीं श्री महावीर स्वामी सर्वज्ञाय नमः ।
इस जाप की बीस माला मध्य रात के समय धूप दीप करके फेरना चाहिए।
(2) ॐ ह्रीं श्रीं महावीर स्वामी पारंगताय नमः ।
इसकी बीस माला रात के 4.00 बजे के पहले-पहले पूरी कर लेनी चाहिए। (3) ॐ ह्रीं श्री गौतम स्वामी केवलज्ञानाय नमः ।
इसकी बीस माला सूर्योदय से पहले फेरना चाहिए। तत्पश्चात् मंदिर में दर्शन चैत्यवंदन एवं लड्डू चढ़ाने आदि की विधि पूरी करें। इसके बात गुरु महाराज को वंदन करे तथा उनके मुखार बिन्दु से श्री गौतम स्वामी का रास एकाग्रता पूर्वक श्रवण करना चाहिए।